*नमाज़ के वाजिबात* #06
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
★ हर फ़र्ज़ व वाजिब का उस की जगह होना।
★ रूकू हर रकअत में एक ही बार करना।
★ सज्दा हर रकअत में दो बार करना।
★ दूसरी रकअत से पहले क़ादह न करना।
★ 4 रकअत वाली नमाज़ में तीसरी रकअत पर क़ादह न करना।
★ आयते सज्दा पढ़ी हो तो सज्दए तिलावत करना।
★ सज्दए सहव वाजिब हुवा हो तो सज्दए सहव करना।
★ दो फर्ज़ो या दो वाजिब या फ़र्ज़ व वाजिब के दरमियान तिन तस्बीह की क़दर (यानि तिन बार सुब्हान अल्लाह कहने के मिक़दार) वक़्फ़ा न होना।
★ इमाम जब किराअत करे ख्वाह बुलंद आवाज़ से हो या आहिस्ता आवाज़ से, मुक्तदि का चुप रहना।
★ किराअत के सिवा तमाम वाजिबात में इमाम की पैरवी करना।
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, सफा 173*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*DEEN-E-NABI ﷺ*
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★ हर फ़र्ज़ व वाजिब का उस की जगह होना।
★ रूकू हर रकअत में एक ही बार करना।
★ सज्दा हर रकअत में दो बार करना।
★ दूसरी रकअत से पहले क़ादह न करना।
★ 4 रकअत वाली नमाज़ में तीसरी रकअत पर क़ादह न करना।
★ आयते सज्दा पढ़ी हो तो सज्दए तिलावत करना।
★ सज्दए सहव वाजिब हुवा हो तो सज्दए सहव करना।
★ दो फर्ज़ो या दो वाजिब या फ़र्ज़ व वाजिब के दरमियान तिन तस्बीह की क़दर (यानि तिन बार सुब्हान अल्लाह कहने के मिक़दार) वक़्फ़ा न होना।
★ इमाम जब किराअत करे ख्वाह बुलंद आवाज़ से हो या आहिस्ता आवाज़ से, मुक्तदि का चुप रहना।
★ किराअत के सिवा तमाम वाजिबात में इमाम की पैरवी करना।
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, सफा 173*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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