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Thursday 5 April 2018

*नमाज़ का तरीक़ा* #88
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*नमाज़े वित्र् के मदनी फूल*
     नमाज़े वित्र् वाजिब है, अगर ये छूट जाए तो इसकी क़ज़ा लाज़िम है।
*✍🏼दुर्रेमुखतार, रद्दलमोहतार, 2/532*
     वित्र् का वक़्त ईशा के फर्ज़ो के बाद से सुबह सादिक़ तक है, जो सो कर उठने पर क़ादिर हो उस के लिये अफज़ल है कि पिछली रात में उठ कर पहले तहज्जुद अदा करे फिर वित्र्।
*✍🏼गुन्यातुल मुस्तमली, 403*
     इसकी 3 रकअत है, इसमें क़ादए ऊला वाजिब है सिर्फ तशह्हुद पढ़ कर खड़े हो जाइये।
     तीसरी रकअत में किराअत के बाद तकबीरे क़ुनूत कहना वाजिब है।
     जिस तरह तकबीरे तहरिमा कहते हो इसी तरह पहले हाथ कानो तक उठाये फिर अल्लाहु अक्बर कहिये, फिर हाथ बांध कर दुआए क़ुनूत पढ़िये।
     दुआए क़ुनूत के बाद दुरुद शरीफ पढ़ना बेहतर है
*✍🏼गुन्यातुल मुस्तमली, 402*

     जो दुआए क़ुनूत न पढ़ सके वो ये पढ़े 👇🏽
*अल्लाहुम्म रब्बना आतिना फिद-दुन्या हसनतव वफिल आखिरती हसनतव वक़ीन अज़ाबन्नार*
     अगर दुआए क़ुनूत पढ़ना भूल गए और रूकू में चले गए तो वापस न लौटीये बल्कि सजदए सहव कर लीजिये।
*✍🏼आलमगिरी 1/110*
     वित्र् जमाअत से पढ़ी जा रही हो और मुक्तदि क़ुनूत से फारिग न हुवा था कि इमाम रूकू में चला गया तो मुक्तदि भी रूकू में चला जाए।
*✍🏼आलमगिरी 1/110*
*✍🏼नमाज़ के अहकाम स.206*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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