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Thursday 18 October 2018

*सूरतुल बक़रह, रुकुअ-14, आयत, ①①⑦*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

नया पैदा करने वाला आसमानों और ज़मीन का (11) और जब किसी बात का हुक्म फ़रमाए तो उससे यही फ़रमाता है कि हो जा और वह फ़ौरन हो जाती है (12)


*तफ़सीर*

     (11) जिसने बग़ैर किसी पिछली मिसाल के चीज़ों को शून्य से अस्तित्व प्रदान किया.

     (12) यानी कायनात या सृष्टि उसके इरादा फ़रमाते ही अस्तित्व में आ जाती है.

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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*​DEEN-E-NABI ﷺ*

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