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Tuesday 30 October 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #294


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*शोएष عليه السلام ने अपनी क़ौम को कहा* #01

     सिरात का एक मायना यहां रास्ता लिया गया है। शोएब عليه السلام की क़ौम का यह तरीका था कि वह लोग रास्ते पर बैठ जाते और शोएब عليه السلام पर ईमान लाने वाला जो शरस भी वहा से गुजरता उसे डराते धमकाते।

     दूसरा मायने दीन के तरीके लिया है। यानी अब मतलब होगा कि तुम शैतान के तरीके पर न चलो क्योंकि उसने कहा था: मैं जरूर जरूर उनके रास्ते पर बैठुंगा। यानी जिस तरह शैतान का काम है कि वह इंसान को दीनी राह पर चलने से रोकता है, तुम भी वह तरीका इख्तयार न करो।

     शोएब عليه السلام की कौम के लोग आप पर ईमान लाने वालों को तीन तरीके से रोकते थे। रब तआला ने इन्हें तीन तरीकों से मना किया कि ऐसा न करो, वह कभी डरा धमकाकर लोगों को सीधी राह से बरगश्ता करते और कभी वैसे ही उनको बातों में लगाकर नेकी के काम से रोकने की कोशिश  करते और कभी दीन में अपनी हिमाक़त की वजह से एतराज़ करते और उसमें नफ़्स निकालने की कोशिश करते।


बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 259

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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