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Wednesday 17 October 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #281


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*सुलेमान عليه السلام की वफात*

     जिन्नात ग़ैब दानी का दावा किया करते थे और इस वजह से इंसानों प्रापण रौब बैठाते और उन्हें तरह तरह की ऐसी बाते बताते जिनका तअल्लुक़ उमूरे गैबीय से होता। अल्लाह की गैरत ने उनका भांडा चौराहे में फोड़ दिया। सुलेमान عليه السلام को उस वक़्त मौत से हमकिनार किया जब वो असा पर टेक लगाए मसरुफे इबादत थे। आप की रूह परवाज़ कर गई लेकिन आपका जिस्म मुबारक असा के सहारे ज्यूँ का त्युं खड़ा रहा। 

     जिन्नात जो आप के हुक्म से बड़े कठिन और मशक़्क़त तलब कामों में लगे हुए थे और आप के खौफ से सुस्ती न कर सकते थे वो आप को खड़ा हुआ देखते तो समझते कि आप ज़िन्दा व सलामत है। ज़रा गफलत बरती तो खाल उधेड़ देंगे। इसी तरह पूरा साल हज़र गया। हुक्म इलाही से दीमक ने असा को चाटना शुरू कर दिया। नीचे से ऊपर तक उसे खोखला करने में एक साल का अरसा बिट गया। जब वो बिल्कुल खोखला हो गया और आप का बोझ न सहार सका तो टूट गया और आप ज़मीन पर आ रहे, तब जिन्नात को पता चला कि जिसके खौफ से उन्होंने अपने आपको मुसीबत में मुब्तला रखा वो तो अरसा से वफात पा चुके है। तो अब उनके दावा की हक़ीक़त फाश हो गई। नीज़ वो लोग जो उन जिन्नात की ग़ैब दानी के दावे को सच्चा समझ रहे थे उन्हें भी पता चल गया कि ये अपने दावा में सरासर झूठे है।

     जिन्नात के सारे गुरुर को खाक में मिलाने के साथ साथ अल्लाह ने शाने नबुव्वत का मुशाहिदा भी करा दिया। आम इंसान अगर असा पर टेक लगाकर खड़ा हो और वो सो जाए तो उसका तवाजुन बरक़रार नही रहता और फ़ौरन ज़मीन पर गिर पड़ता है। फिर मौत के बाद चेहरे की रंगत बदल जारी है। जिस्म में तरह तरह के बदलाव होना शुरू हो जाते है। लेकिन यहां आप साल भर टेक लगाए खड़े रहे, चेहरा फूल की तरह शगुफ्ता रहा, बदन बिल्कुल तर व ताज़ा रहा, जिस्म का बदबूदार होना और गल सड़ जाना तो एक तरफ लिबास पाक साफ रहा। 

     अल्लाह ने बे बसीरत लोगो को ज़ाहिरी आंखों से मुशाहिदा करा दिया की नबी की ज़ाहिरी ज़िन्दगी का जाह व जलाल तो तुम देखते रहे अब इसके इंतेकाल के बाद भी उसकी शान रफीअ को देखो।

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 245

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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