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Saturday 20 October 2018

*सूरतुल बक़रह, रुकुअ-14, आयत, ①①⑨*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

बेशक हमने तुम्हें हक़ के साथ भेजा ख़ुशख़बरी देता और डर सुनाता और तुमसे दोज़ख़ वालों का सवाल न होगा (18)


*तफ़सीर*

     (18) कि वो क्यों ईमान न लाए, इसलिये कि आपने अपना तबलीग़ का फ़र्ज़ पूरे तौर पर अदा फ़रमा दिया.

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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*​DEEN-E-NABI ﷺ*

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