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Thursday 3 November 2016

*गफलत* #07
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

_*आतस परस्तों जैसी सूरत*_
     मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! दाढ़ी मुंडाना या एक मुठ्ठी से घटना दोनों काम हराम है । सय्यिदुना इमाम मुस्लिम नकल करते है, अल्लाह के महबूब , दानाए गुयूबﷺ का फरमाने इब्रत निशान है: "मुछे खूब पस्त करो और दाढ़ियों को मुआफ़ी दो और मजूसियों जैसी सूरत मत बनाओ।"
*✍🏽मुस्लिम, 54*
     इस फरमाने वाला शान में मुसलमान की गैरत को ललकार है, कैसी अजीबो गरीब बात है की दा'वा महब्बते मुस्तफा का करे और शक्लो सूरत दुश्मनाने मुस्तफा जैसी बनाए

*_कौन किस से पर्दा करे ?_*
     पर्दे में रह कर सुनने वाली इस्लामी बहनो ! तुम भी सुनो ! बे पर्दगी हराम है, गैर मर्दों को ब शहवत देखना हराम है और फे'ले हराम जहन्नम में ले जाने वाला काम है । चचाजाद, तायाजाद, फुफिजाद, खालजाद, माँमुंजाद, चची, ताई, मुमानी इन सब का पर्दा है, भाभी और देवर व् जेठ का पर्दा है, साली और बहनोई का पर्दा है की ना महरम पीर और मुरी-दीन का भी पर्दा है, मुरी-दीन अपने पीर साहिब का हाथ नही चूम सकती, सर के बालो पर मुर्शिद के हाथ नही फिरवा सकती, लड़की जब नव बरस की हो उस को पर्दा शुरुअ करवाइये और लड़का जब बारह बरस का हो जाए तो उसे औरत से बचाइये ।

_*न जाइज़ फेशन करने का अन्जाम*_
     सरकारे मदीना, राहते कल्बो सीनाﷺ ने इर्शाद फ़रमाया : में ने कुछ मर्दों को देखा जिन की खाले आग की कैचियो से काटी जा रही थी, में ने कहा : येह कौन है ? जिब्रईले अमीन ने बताया : येह लोग ना जाइज़ अश्या से जीनत हासिल करते थे । और मेने एक बदबूदार गढ़ा देखा जिस में शोरो गोगा बरपा था, में ने कहा : येह कोन है ? तो बताया : येह वोह औरत हे जो न जाइज़ अश्या से जीनत हासिल करती थी ।
     याद रखिये ! नेल पोलिश की तह नाखूनों पर जम जाती है लिहाज़ा ऐसी हालत में वुजू करने से न वुजू होता है न ही नहाने से गुस्ल उतरता है, जब वुजू व् गुस्ल न हो तो नमाज भी नहीं होती, इस्लामी बहनो की खिदमत में मेरा म-दनी मशवरा है की म-दनी बुरकअ ओढा करे, नीज़ ऐसे दस्तानो और जुराबो का एहतिमाम फरमाए जिन में से हाथ पाउ की रंगत न झलकती हो, गैर मर्दों के आगे अपनी हथेलियो पाउ के पंजे भी हरगिज जाहिर न किया करे ।
*✍🏽गफलत, 13*
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खादिमे दिने नबीﷺ *ज़ैद वहोरा*
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