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Monday 28 November 2016

*जमाअत छोड़ने की सजा* #08
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_नमाज़ सल्तनत से बेहतर_*
     हज़रते मैमून बिन मेहरानرضي الله تعالي عنه मस्जिद में आए, उनसे कहा गया जमाअत खत्म हो गई और लोग जा चुके है ये सुन कर उन की ज़ुबांन पर बे साख्ता जारी हुवा إ نَّا لِلّهِ وَإِنَّـا إِلَيْهِ رَاجِعونَ फिर फ़रमाया : मेरे नज़दीक बा जमाअत नमाज़ की फ़ज़ीलत इराक की हुक्मरानी से ज्यादा है।
*✍🏽मुकाशफतुल कुलूब, स. 268*

*_बाग़ मसाकिन पर सदका कर दिया_*
     हज़रते अब्दुल्लाह बिन उमरرضي الله تعالي عنه फरमाते है : हज़रते उमर फारूकرضي الله تعالي عنه अपने एक बाग़ की तरफ तशरीफ़ ले गए, जब वापस हुवे तो लोग नमाज़े असर अदा कर चुके थे, ये देख कर आप ने पढ़ा إ نَّا لِلّهِ وَإِنَّـا إِلَيْهِ رَاجِعونَ और इर्शाद फ़रमाया : मेरी असर की जमाअत फौत हो गई है, लिहाजा में तुम्हे गवाह बनाता हु की मेरा बाग़ मसाकिन पर सदका है ताकि ये इस काम का कफ़्फ़ारा हो जाए।

     अल्लाहु अकबर ! मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! देखा आपने हमारे बुज़ुर्गो के नज़दीक जमाअत की किस कदर अहमिय्यत थी, उनके नज़दीक माल व औलाद का तलफ़ (ज़ाएअ) हो जाने से बड़ी मुसीबत नमाज़े बा जमाअत छूट जाना था।
     अल्लाह عزوجل हमारे दिलो में भी ऐसा ज़ौक़ ओ शोक अता करे।
आमीन........
*✍🏽तर्के जमाअत की वईद, स. 19*
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