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Sunday 27 November 2016

*इल्मे दिन की  फज़ीलत पर 7 फरामीने मुस्तफा*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

_*(1) अजीम ने'मत*_
     अल्लाह जिस के साथ भलाई का ईरादा  फरमाता है। उसे दीन की समज बुझ अ़ता़ फरमाता है।
*✍🏽सहीह बुखारी, 1/43*

_*(2) गुनाहो की मुआफ़ी*_
     जो बन्दा इल्म की जूस्तजू में जूते ,मौजे या कपड़े पहनता हे तो अपने घर की चौखट से निकलते ही उसके सारे गुनाह मुआफ़ कर दिए जाते है।
*✍🏽तिबरानी, 4/204*

*_(3) लौटने तक राहे खुदा में_*
     जो इल्म की तलास में निकलता है वोह वापस लौटने तक अल्लाह की राह में होता है।
*✍🏽तिर्मिज़ी, 4/294*

*_(4) राहे इल्म में इंतेक़ाल करने वाला शहीद है_*
     इल्म का एक बाब जिसे आदमी सीखता है मेरे नज्दिक् हजार  रकअत नफ्ल पढ़ने से जियादा पसन्दीदा है ओर जब किसी ताबितुल इल्म को हासिल करते हुऐ मोत आ जाए वो सहिद है।
*✍🏽अल-तरगिब् वल-तरहिब, 1/54*

*_(5) अच्छी निय्य्त से सीखना सीखाना_*
     जो मेरी इस मस्जिद में सिर्फ भलाई की बात सीखने या सीखाने के लिए आया हो तो वो अल्लाह की राह में ज़िहाद करने वाले की तरह है और जो किसी और निय्यत से आया तो हो वो गैर के माल पर नजर रखने वाले की तरह है।
*✍🏽इब्ने माजह, 1/149*

_*(6) अच्छी तरह याद कर के सीखा ने की फज़ीलत*_
     जो कोई अल्लाह के फराइज से मुतअल्लीक एक या दो या तिन या चार या पाच कलिमात सीखे ओर उसे अच्छी  तरह याद करले और फिर लोगो को सीखाये तो वोह जन्न्त में जरूर दाखिल होगा।
     हजरते सय्यिदुना अबु हुरैराرضي الله تعالي عنه फरमाते है: "में रसुलल्लाहﷺ से यह बात सुनने के बा'द कोई हदीस नही भुला।"
*✍🏽अल-तरगिब् वल-तरहिब, 1/54*

*_(7) हज़ार रक्अतो से बेहतर अमल_*
     तुम्हारा किसी को किताबुल्लाह की एक आयत सिखाने के लिए जाना तुम्हारे लिये सो रक्अते अदा करने से बेहतर है ओर तुम्हारा किसी को इल्म का एक बाब सिखाने के लिए जाना ख्वाह उस पर अमल किया जाए या न किया जाए तुम्हारे लिए हजार रक्अते अदा करने से बेहतर है।
*✍🏽इब्ने माजह, 1/142*
*✍🏽इल्मो हिकमत के 125 मदनी फूल, 11*
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