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Friday 18 November 2016

*तर्जमए कन्ज़ुल ईमान व तफ़सीरे खज़ाइनुल इरफ़ान* #80
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_सूरतुल बक़रह, आयत ⑨⑧_*
जो कोई दुश्मन हो अल्लाह और उसके फ़रिश्तों और उसके रसूलों आैर जिब्रील और मीकाईल का तो अल्लाह दुश्मन है काफ़िरों का

*तफ़सीर*
इससे मालूम हुआ कि नबियों और फ़रिश्तों की दुश्मनी कुफ़्र और अल्लाह के ग़ज़ब का कारण है. और अल्लाह के प्यारों से दुश्मनी अल्लाह से दुश्मनी करना है.

*_सूरतुल बक़रह, आयत ⑨⑨_*
और बेशक हमने तुम्हारी तरफ़ रौशन आयतें उतारी और उनके इन्कारी न होंगे मगर फ़ासिक़ (कुकर्मी) लोग

*तफ़सीर*
यह आयत इब्ने सूरिया सहूदी के जवाब में उतरी, जिसने हुज़ूर सैयदे आलम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम से कहा था कि ऐ मुहम्मद, आप हमारे पास कोई ऐसी चीज़ न लाए जिसे हम पहचानते और न आप पर कोई खुली (स्पष्ट) आयत उतरी जिसका हम पालन करते.
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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