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Friday 20 January 2017

*नमाज़ तोड़ने वाली बाते* #04
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_नमाज़ में कुछ निगलना_*
     मामुलिसा भी खाना या पीना मसलन तिल बगैर चबाए निगल लिया। या क़तरा मुह में गिरा और निगल लिया।
     नमाज़ शुरू करने से पहले ही कोई चीज़ दातो में मौजूद थी उसे निगल लिया तो अगर वो चने के बराबर या इस से ज्यादा थी तो नमाज़ फासिद् हो गई और अगर चने से कम थी तो मकरूह।
     नमाज़ से क़ब्ल कोई मीठी चीज़ खाई थी अब उस के अजज़ा मुह में बाकी नहीं सिर्फ लुआबे दहन में कुछ असर रह गया है उस के निगलने से नमाज़ फासिद् न होगी।
     मुह में शक्कर वगैरा हो की घुल कर हलक मर पहुचती है नमाज़ फासिद् हो गई।
     दातो में खून निकला अगर थूक ग़ालिब है तो निगलने से फासिद् न होगी वरना हो जाएगी। (ग़लबे की लआमत ये है की अगर हलक में मज़ा महसूस हुवा तो नमाज़ फासिद् हो गई, नमाज़ तोड़ने में ज़ायके का एतिबार है और वुज़ू टूटने में रंग का, लिहाज़ा वुज़ू उस वक़्त टूटता है जब थूक सुर्ख हो जाए और अगर थूक ज़र्द है तो वुज़ू बाक़ी है)

*_दौराने नमाज़ किब्ले से इन्हीराफ_*
     बिला उज़्र सीने को सम्ते काबा से 45 दर्जा यानी इस से ज़्यादा फेरना मुफ़्सीदे नमाज़ है, अगर उज़्र से हो तो मुफ्सिद् नहीं।
     मसलन हदस (वुज़ू टूट जाने) का गुमान हुवा और मुह फेरा ही था की गुमान की गलती ज़ाहिर हुई तो अगर मस्जिद से खारिज न हुवा हो नमाज़ फासिद् न होगी।
*✍🏽दुर्रेमुख्तार मअ रद्दलमोहतार, 2/468*

*_नमाज़ में सांप मारना_*
     सांप बिच्छु को मारने से नमाज़ नहीं टूटती जब कि न तिन क़दम चलना पड़े न तीन ज़र्ब की हाजत हो वरना फासिद् हो जाएगी।
     सांप बिच्छु को मारना उस वक़्त मुबाह है जब कि सामने से गुज़रे और इज़ा देने का खौफ हो, अगर तक़लीफ़ पहुचाने का अंदेशा न हो तो मारना मकरूह है।
*✍🏽आलमगिरी, 1/103*
     पै दर पै तीन बाल उखेडे या तीन जुए मारी या एक ही जू को तीन बार मारा नमाज़ जाती रही और अगर पै दर पै न हो तो नमाज़ फासिद् न हुई मगर मकरूह है।
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, 188*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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