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Sunday 8 January 2017

*तर्जमए कन्ज़ुल ईमान व तफ़सीरे खज़ाइनुल इरफ़ान* #122
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_सूरतुल बक़रह, आयत ①⑥⑤_*
     और कुछ लोग अल्लाह के सिवा  और माबूद बना लेते हैं कि उन्हें अल्लाह की तरह मेहबूब रखते हैं और ईमान वालों को अल्लाह के बराबर किसी की महब्बत नहीं, और कैसी हो अगर देखें ज़ालिम वह वक्त़ जबकि अज़ाब उनकी आंखों के सामने आएगा इसलिये कि सारा ज़ोर अल्लाह को है और इसलिये कि अल्लाह का अज़ाब बहुत सख़्त है.

*_सूरतुल बक़रह, आयत ①⑥⑥_*
     जब बेज़ार होंगे पेशवा अपने मानने वालों से (2)
और देखेंगे अज़ाब और कट जाएंगी उनसब की डोरें (3)
*तफ़सीर*
     (2) यह क़यामत के दिन का बयान है, जब शिर्क करने वाले और उनके सरदार, जिन्होंने उन्हें कुफ़्र की तरफ़ बुलाया था, एक जगह जमा होंगे और अज़ाब उतरता हुआ देखकर एक दूसरे से बेज़ार हो जाएंगे.
     (3) यानी वो सारे सम्बन्ध जो दुनिया में उनके बीच थे, चाहे वो दोस्तीयाँ हों या रिश्तेदारीयाँ, या आपसी सहयोग के एहद.
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