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Friday 27 January 2017

*सिरते मुस्तफाﷺ*
*_दसवा बाब_* #19
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*​जंगे खन्दक*​ #04
*_इस्लामी अफ्वाज की मोर्चा बन्दी_*
     हुज़ूरﷺ ने खन्दक तैयार हो जाने के बाद औरतो और बच्चों को मदीने के महफु किल्ले में जमा फरमा दिया और मदीने पर हज़रते इब्ने उम्मे मकतूम को अपना खलीफा बना कर 3000 अंसार व मुहाजिरिन की फ़ौज के साथ मदीने से निकल कर सलअ पहाड़ के दामन में ठहरे। सलअ आपﷺ की पुश्त पर था और आप के सामने खन्दक थी। मुहाजिरिन का झंडा हज़रते ज़ैद बिन हारिषा के हाथ में दिया और अंसार का आलम बरदार हज़रते साद बिन उबादा को बनाया।

*_कुफ्फार का हमला_*
     कुफ्फार कुरैश और उन के इत्तिहादियो ने 10000 के लश्कर के साथ मुसलमानो पर हल्ला बोल दिया और तिन तरफ से काफिरो का लश्कर इस ज़ोरो शोर के साथ मदीने पर उमड़ पड़ा की शहर की फ़ज़ाओं में गर्दो गुबार का तूफ़ान उठ गया इस खौफनाक चढ़ाई और लश्करे कुफ्फार के दल बादल की मारीका आराई का नक़्शा क़ुरआन की ज़बान से देखे :
     जब काफ़िर तुम पर आ गए तुम्हारे ऊपर से और तुम्हारे निचे से और जब की ठिठक कर रह गई निगाहें और दिल गलो के पास (खौफ से) आ गए और तुम *अल्लाह* पर (उम्मीद व यास से) तरह तरह के गुमान करने लगे उस जगह मुसलमान आज़माइश और इम्तिहान में डाल दिये गए और वो बड़े ज़ोर के ज़लज़ले में झंझोड़ कर रख दिये गए।
*पारह, 21*
     मुनाफिकिन जो मुसलमानो के साथ खड़े थे वो कुफ्फार के इस लश्कर को देखते ही बुज़दिल हो कर फिसल गए और उस वक़्त उनके निफ़ाक़ का पर्दा चाक हो गया। चुनांचे उन लोगो ने अपने घर जाने की इजाज़त मांगनी शुरू कर दी। जैसा की क़ुरआन में *अल्लाह* का फरमान है की...
     और एक गिरोह (मुनाफ़िक़ीन) उन में से नबी को इजाज़त तलब करता था मुनाफ़िक़ कहते है की हमारे घर खुले पड़े है हाला की वो खुले हुए नही थे उन का मक़सद भागने के सिवा कुछ भी न था।
*पारह, 21*
     लेकिन इस्लाम के सच्चे जा निषार मुहाजिरिन व अंसार ने जब लश्करे कुफ्फार की तूफानी यलगार को देखा तो इस तरह सीना सिपर हो कर डट गए की "सलअ" और "उहद" की पहाड़िया सर उठा उठा कर इन मुजाहिदीन की उलुल आज़मी को हैरत से देखने लगी इन जा निशारो की इमानी शुजाअत की तस्वीर क़ुरआन में इरशादे रब्बानी है की...
     और जब मुसलमानो ने क़बाइले कुफ्फार के लशकरो को देखा तो बोल उठे की ये तो वही मन्ज़र है जिस का अल्लाह और उस के रसूल ने हम से वादा किया था और खुदा और उस का रसूल दोनों सच्चे है और उस ने उन के ईमान व इताअत को और ज़्यादा बढ़ा दिया।
*पारह, 21*
*✍🏽सिरते मुस्तफा, 329*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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