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Wednesday 4 January 2017

*जायज़-नाजायज़ की कसौटी और 11वी शरीफ*​ #11
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*इसाले षवाब-मुर्दो को षवाब पहचना* #03
*_खाना सामने रखकर इसाले षवाब करना_*
     *सवाल :* कुछ लोग कहते है की खाना सामने रखकर इसाले षवाब करना और फातिहा पढ़ने का कोई सबूत नही, इसके बारे में क्या फरमाते है ?

     *जवाब :* हदिष में है की, हज़रत सअदرضي الله تعالي عنه हुज़ूरﷺ की खिदमत में हाज़िर हुए और अर्ज़ किया : या रसूलुल्लाहﷺ ! मेरी माँ का इन्तिकाल हो गया है, उनके लिए कौन सा सदक़ा अफ्ज़ल है ? आप ने फ़रमाया : पानी,
     तो हज़रत सअदرضي الله تعالي عنه कुवा खुदवा दिया, और ये फ़रमाया ये कुवा, मेरी माँ के लिये है।
*✍🏽अबू दाऊद*
     हज़रते सअदرضي الله تعالي عنه अगर चाहते तो कुवा खुदवा देने के बाद अपने घर या हुज़ूरﷺ की बारगाह में हाज़िर हो कर ये केह सकते थे की : जो कुवा में ने खुदवाया है उसका षवाब मेरी माँ को पहुचे। मगर उन्हों ने ऐसा नही किया, बल्कि कुए के सामने कुए की और इशारा करके कहा की, ये मेरी वालिदा के लिये है।

     एक हदिष में है की, हुज़ूरﷺ ने दो मेढ़ों की क़ुरबानी की, और उसी वक़्त जब की गोश्त सामने मौजूद था, इसाले षवाब फ़रमाया, हदिष के अलफ़ाज़ ये है : हुज़ूरﷺ ने अपने हाथ मुबारक से जिबह किया और फ़रमाया : ऐ अल्लाह ! ये मेरी तरफ से है और मेरी उम्मत के उन लोगो की तरफ से है जिन्होंने क़ुरबानी नही की।
*✍🏽मिश्कात शरीफ*
     इस हदिष से मालुम हुआ की हुज़ूरﷺ ने जिस वक़्त इसाले षवाब के ये अलफ़ाज़ फरमाये उस वक़्त गोश्त सामने मौजूद था।
     इन दोनों हदोषो से साबित हो गया की फातिहा दिया जाता है सामने होना और सामने रखना जायज़ है।
*✍🏽जायज़-नाजायज़ की कसौटी और 11वी शरीफ، 9*​
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