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Thursday 11 May 2017

*फ़ज़ाइले रमज़ान शरीफ* #04
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*सगीरा गुनाहो का कफ़्फ़ारा*
     हज़रते अबू हुरैरा رضي الله عنه से मरवी है, हुज़ूर صلى الله عليه وسلم का फरमाने पुर सुरूर है : पंचो नमाज़े, जुमुआ अगले जुमुआ तक और रमज़ान अगले रमज़ान तक गुनाहो का कफ़्फ़ारा है जब तक की कबीरा गुनाहो से बचा जाए।
*✍🏽सहीह मुस्लिम, 144, हदिष:233*

*तौबा का तरीक़ा*
     रमज़ानुल मुबारक में रहमतो की छमाछम बारिशें और गुनाहे सगीरा के कफ्फारे का सामान हो जाता है। गुनाहे कबीरा तौबा से मुआफ़ होते है।
     तौबा का तरीक़ा ये है की जो गुनाह हुवा ख़ास उस गुनाह का ज़िक्र कर के दिल की बेज़ारी और आइन्दा उस से बचने का अहद कर के तौबा करे। मसलन झूट बोला, तो बारगाहे खुदावन्दी में अर्ज़ करे, या अल्लाह ! मेने जो ये झूट बोला इससे तौबा करता हु और आइन्दा नही बोलूंगा।
     तौबा के दौरान दिल में झूट से नफरत हो और "आइन्दा नही बोलूंगा" कहते वक़्त दिल में ये इरादा भी हो की जो कुछ कह रहा हु ऐसा ही करूँगा जभी तौबा है। अगर बन्दे की हक़ तलफी की है तो तौबा के साथ साथ उस बन्दे से मुआफ़ करवाना भी ज़रूरी है।
*✍🏽फ़ज़ाइले रमज़ान, 12*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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