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Sunday 28 May 2017

*बरकाते ज़कात* #06
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_फर्ज़िय्यते ज़कात_*
     याद रहे कि उम्मते मुहम्मदिय्या ﷺ पर भी ज़कात की अदाएगी फ़र्ज़ की गई है। चुनान्चे पारह 1 सूरतुल बक़रह आयत 43 में इरशाद होता है : *और नमाज़ क़ाइम रखो और ज़कात दो।*

     हज़रते नईमुद्दीन मुरादाबादी अलैरहमा खज़ाइनुल इरफ़ान में इस आयत के तहत लिखते है : इस आयत में नमाज़ व ज़कात की फरज़िय्यत का बयान है।

     ज़कात अरकाने इस्लाम में से एक रुकन है। अल्लाह के महबूब ﷺ का फरमाने अज़मत निशान है : इस्लाम की बुन्याद 5 बातो पर है, इस बात की गवाही देना कि अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और मुहम्मद उसके रसूल है, नमाज़ क़ाइम करना, ज़कात अदा करना, हज करना और रमज़ान के रोज़े रखना।

      ज़कात की अहमिय्यत का अंदाज़ इस बात से लगाया जा सकता है कि कुरआन में नमाज़ और ज़कात का एक साथ *32* मर्तबा ज़िक्र आया है।
*✍🏼बरकाते ज़कात, स.7*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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