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Friday 26 May 2017

*नया चाँद देखते वक़्त पढ़ने की दुआ*
*بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

*اَللّٰهُمَّ اَهِلَّهُ عَلَيْنَا بِالْيُمْنِ وَالْاِيْمَانِ وَاسَّلَامَةِ وَالْاِسْلَامِ وَالتَّوْفِيْقِ لِمَاتُحِبُّ وَتَرْضيْ رَبِّيْ وَرَبُّكَ اللّٰهُ*

*तर्जमा*
या अल्लाह ! इस चाँद को हम पर बरकत और ईमान व सलामती व इस्लाम और उस चीज़ की तौफ़ीक़ के साथ निकाल जिससे तू राज़ी होता है, और पसन्द करता है, (अय पहली रात के चाँद) मेरा और तेरा रब्ब अल्लाह है।

9वा महीना *रमज़ान* का चाँद देखे के
*सूरए नास* पढ़े और *तलवार*  देखे।
शहीद का षवाब मिलेगा ओर पूरा महीना नेक गुज़रेगा ان شاء الله

मगरिब बाद 21 बार सूरए क़द्र पढ़े, रोज़ी में बेशुमार बरकत होगी ان شاء الله

ईशा बाद एक मर्तबा सूरए
मुल्क पढ़े, पूरा महीना मुसीबतो, परेशानियो से हिफाज़त मिलेगी ان شاء الله

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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