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Sunday 7 May 2017

*आक़ा ﷺ का महीना* #12
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_सब्ज़ परचा_*
    अमीरूल मुअमिनीन हज़रते उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ رضي الله تعالي عنه एक मर्तबा शाबानुल मुअज़्ज़्म की 15वी रात यानि शबे बराअत में इबादत में मसरूफ़ थे। सर उठाया तो एक "सब्ज़ परचा" मिला जिस का नूर आसमान तक फेला हुवा था, उस पर लिखा था "खुदाए मालिक व ग़ालिब की तरफ से ये जहन्नम की आग से आज़ादी का परवाना" है जो उस के बन्दे उमर को अता हुवा है।
*✍🏽तफ़सीरे रुहुल बयान, 8/402*

     इस हिकायत में जहा उमर رضي الله عنه की अज़मत व फ़ज़ीलत का इज़हार है वही शबे बराअत की रिफअत व शराफत का भी ज़ुहुर है।
     अल्हम्दुलिल्लाह ये मुबारक शब् जहन्नम की भड़कती आग से बरात यानी छुटकारा पाने की रात है इसी लिये इस रात को शबे बराअत कहा जाता है।
*✍🏽आक़ा का महीना, स.15*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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