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Sunday 21 May 2017

*फ़ज़ाइले रमज़ान शरीफ* #23
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*अफ़्ज़ल इबादत कौन सी ?
     ऐ जन्नत के तलबगार रोज़ादार इस्लामी भाइयो ! रमज़ान के मुक़द्दस लम्हात को फुज़ूलियात व खुराफात में बर्बाद होने से बचाइये ! ज़िन्दगी बेहद मुख़्तसर है इस को गनीमत जानिये, ताश की गड्डियों और फ़िल्मी गानो के ज़रिए वक़्त पास (बल्कि बर्बाद) करने के बजाए तिलावते क़ुरआन और ज़िक्रो दुरुद में वक़्त गुज़ारने की कोशिश फरमाये। भूक प्यास की शिद्दत जिस क़दर ज़्यादा महसूस होगी सब्र करने पर أن شاء الله षवाब भी उसी क़दर ज़ाइद मिलेगा। जैसा की मन्कुल है, अफ़्ज़ल इबादत वो है जिस में ज़हमत (तकलीफ) ज़्यादा है।

     इमाम शरफुद्दीन नववी عليه رحمة फ़रमाते है, इबादत में मशक़्क़त और खर्च ज़्यादा होने से षवाब और फ़ज़ीलत ज़्यादा हो जाती है।
*✍🏼शरेह सहीह मुस्लिम लिन्न-ववी, 1/390*

     हज़रते इब्राहिम बिन अदहम رحمة الله عليه का फरमान है : दुन्या में जो नेक अमल जितना दुश्वार होगा क़यामत के रोज़ नेकियो के पलड़े में उतना ही ज़्यादा वज़नदार होगा।
*✍🏼तज़किरतुल औलिया, 95*

     इन रिवायत से साफ़ ज़ाहिर हुवा की हमारे लिये रोज़ा रखना जितना दुश्वार और नफ्से बदकार के लिये जिस क़दर ना गवार होगा, أن شاء الله बरोज़े शुमार मिज़ाने अमल में उतना ही ज़्यादा वज़नदार होगा।
*✍🏼फ़ज़ाइले रमज़ान, 85*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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