Pages

Saturday 6 May 2017

*आक़ा ﷺ का महीना* #11
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_फायदे की बात_*
     शबे बरात में आमाल नामे तब्दील होते है लिहाज़ा मुम्किन हो तो 14 शाबानुल मुअज़्ज़्म को भी रोज़ा रख लिया जाए ताके आमाल नाम के आखिरी दिन में भी रोज़ा हो।
     14 शाबान को असर की नमाज़ बा जमाअत पढ़ कर वही नफ्लि एतिकाफ कर लिया जाए और नमाज़े मगरिब के इन्तिज़ार की निय्यत से मस्जिद ही में ठहरा जाए ताके आमाल नामा तब्दील होने के आखिरी लम्हात में मस्जिद की हाज़िरी, एतिकाफ और इन्तिज़ारे नमाज़ वग़ैरा का षवाब लिखा जाए। बल्कि जहे नसीब ! सारी ही रात इबादत में गुज़ारी जाए।

*_15 शाबान का रोज़ा_*
     हज़रते अलिय्युल मुर्तज़ा शेरे खुदा से मरवी है के नबिय्ये करीम ﷺ का फरमाने अज़ीम है : जब 15 शाबान की रात आए तो उसमे क़याम (इबादत) करो और दिन में रोज़ा रखो। बेशक अल्लाह तआला गुरुबे आफताब से आसमान दुन्या पर ख़ास तजल्ली फ़रमाता और कहता है : है कोई मुझसे मग्फिरत तलब करने वाला के उसे बख्श दू ! है कोई रोज़ी तलब करने वाला के उसे रोज़ी दू ! है कोई मुसीबत ज़दा के उसे आफिय्यत अता करू ! है कोई ऐसा ! है कोई ऐसा !
     और ये उस वक़्त तक फ़रमाता है के फ़ज्र तुलुअ हो जाए।
*✍🏽सुनन इब्ने माजा, जी.2 स.160 हदिष : 1388*
*✍🏽आक़ा का महीना, स.14*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in

No comments:

Post a Comment