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Wednesday 24 May 2017

*अहकामे रोज़ा* #06
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_हम रसूलुल्लाह ﷺ के जन्नत रसूलुल्लाह ﷺ की_*
     हज़रते रबीआ बिन काब अस्लमी رضي الله عنه फ़रमाते है, एक मर्तबा में ने हुज़ूर صلى الله عليه وسلم को वुज़ू करवाया तो खुद रहमतुल्लिल आलमीन صلى الله عليه وسلم ने खुश हो कर इर्शाद फ़रमाया : रबीआ ! मांग क्या मांगता है ? हज़रते रबीआ ने अर्ज़ की, जन्नत में आप की रफाकत (यानी पड़ौस) चाहिये।
     दरियाए रहमत मज़ीद जोश में आया और फ़रमाया कुछ और मांगना है ? मेने ऐज़ की, बस सिर्फ येही।
     जब हज़रत रबीआ رضي الله عنه जन्नत की रफ़ाक़त तलब कर चुके और मज़ीद किसी हाजत के तलब करने से इनकार कर दिया तो इस पर हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने फ़रमाया : अपने नफ़्स पर कसरते सुजूद (यानि ज़्यादा नवाफ़िल) से मेरी मदद कर।
*✍🏼सहीह मुस्लिम, 253, हदिष:489*
(यानि हमने तुम्हे जन्नत तो अता कर ही दी अब तुम भी बतौरे शुक्राना नवाफ़िल की कसरत करते रहो।)

_*जो चाहो मंगलो*_
     इस हदिष ने तो ईमान ही ताज़ा कर दिया। हज़रते शैख़ अब्दुल हक़ मुहद्दिस देहलवी عليه رحما फ़रमाते है, सरकार صلى الله عليه وسلم का बिला किसी तक़्यिद व रख़्सिस मुतलक़न फरमाना, मांग क्या मांगता है ? इस बात को ज़ाहिर करता है कि सारे ही मुआमलात सरवरे कायनात صلى الله عليه وسلم के मुबारक हाथ में है, जो चाहे जिस को चाहे अपने रब के हुक्म से अता कर दे।
*✍🏼फ़ज़ाइले रमज़ान, 108*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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