بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ
اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ
और बेशक हमने तुम्हारी तरफ़ रौशन आयतें उतारी(4) और उनके इन्कारी न होंगे मगर फ़ासिक़ (कुकर्मी) लोग.
*तफ़सीर*
(4) यह आयत इब्ने सूरिया सहूदी के जवाब में उतरी, जिसने हुज़ूर सैयदे आलम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम से कहा था कि ऐ मुहम्मद, आप हमारे पास कोई ऐसी चीज़ न लाए जिसे हम पहचानते और न आप पर कोई खुली (स्पष्ट) आयत उतरी जिसका हम पालन करते.
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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