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Wednesday 10 October 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #274


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*हदिया को देख कर सुलेमान عليه السلام का जवाब*

     सुलेमान عليه السلام ने फरमाया अल्लाह ने मुझे दीन, नबुव्वते उलूम अता फरमाये है जो सआदत उखरविया, सआदते अम्बिया के असबाब है और अल्लाह ने मुझे दुन्या का माल व दौलत भी इतना अता फरमा दिया है कि जिस पर ज़्यादती की कोई ज़रूरत नहीं। मेरे जैसे शख्स को इस किस्म के हदिये से कैसे अपनी तरफ मायल किया जा सकता है?

     इस हदिये पर तुम खुद ही खुश होते रहो कि तुम्हें ये हदिया हासिल है। ये हदिया जो तुम मुझे देंरहे हो उसकी क़दर व मन्ज़िलत हमारे नज़दीक तो कुछ नहीं, तुम्हे ही उसकी कोई क़दर होगी, इसलिये तुम खुद ही इस पर खुश होते रहो। इस किस्म के हदिये क़बूल करना तुम्हारा ही हक़ है और तुम्हे ही ऐसे हदिये से खुशी होती है, हमे तो ऐसे हदिये की ज़रूरत नहीं और न ही हम ऐसे माल को देख कर खुश होते है।

     अपनी क़ौम के पास लौटकर चले जाओ और अपनी मलका को बता दो की अगर तुमने कुफ़्रिया अक़ाइद सूरज परस्ती वगैरह को न छोड़ा और मेरे लाये हुए दीन पर ईमान न लाये तो हम अपने लश्कर से तुम्हारी सरकोबी करेंगे, तुम्हें ज़लील व ख्वार कर देंगे और तुम्हें शहरों से ज़लील करके निकाल देंगे तुम्हें मुक़ाबला करने की ताक़त हासिल नहीं होगी।

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 230

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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