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Tuesday 2 May 2017

*​तर्जमए कन्ज़ुल ईमान व तफ़सीरे खज़ाइनुल इरफ़ान​* #196
*​بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ​*
*​اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ​*

*_​​सूरतुल बक़रह, रुकूअ-36, आयत ②⑥①_*
     उनकी कहावत जो अपने माल अल्लाह की राह मे ख़र्च करते हैं(1) उस दिन की तरह जिसने उगाई सात बालें (2) हर बाल में सौ दाने (3) और अल्लाह इस से भी ज़्यादा बढ़ाए जिस के लिये चाहे और अल्लाह वुसअत (विस्तार) वाला इल्म वाला है.

*तफ़सीर*
     (1) चाहे ख़र्च करना वाजिब हो या नफ़्ल, भलाई के कामों से जुड़ा होना आम है. चाहे किसी विद्यार्थी को किताब ख़रीद कर दी जाए या कोई शिफ़ाख़ाना बना दिया जाए या मरने वालों के ईसाले सवाब के लिये सोयम, दसवें, बीसवें, चालीसवें के तरीक़े पर मिस्कीनों को खाना खिलाया जाए.
     (2) उगाने वाला हक़ीक़त में अल्लाह ही है. दाने की तरफ़ उसकी निस्बत मजाज़ी है. इससे मालूम हुआ कि मजाज़ी सनद जायज़ है जबकि सनद करने वाला ग़ैर ख़ुदा के तसर्रूफ़ में मुस्तक़िल एतिक़ाद न करना हो. इसी लिये यह कहना भी जायज़ है कि ये दवा फ़ायदा पहुंचाने वाली है, यह नुक़सान देने वाली है, यह दर्द मिटाने वाली है, माँ बाप ने पाला, आलिम ने गुमराही से बचाया, बुज़ुर्गों ने हाजत पूरी की, वग़ैरह. सबमें मजाज़ी सनदें हैं और मुसलमान के अक़ीदे में करने वाला हक़ीक़त में अल्लाह ही है. बाक़ी सब साधन है.
     (3) तो एक दाने के सात सौ दाने हो गए, इसी तरह ख़ुदा की राह में ख़र्च करने से सात सौ गुना अज्र हो जाता है.
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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