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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
हुज़ूर ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया : हर चीज़ की कोई ख़ास अलामत होती है और ईमान की अलामत नमाज़ है।
*✍🏼मुन्यातूल मुसल्लि*
नमाज़ मुसलमान होने की अलामत है यानी जो नमाज़ी नहीं, समझो वो ईमान की निशानी से खाली है।
हुज़ूर ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया : बन्दे और कुफ़्र व शिर्क के दरमियान (यानी मुसलमान और काफ़िर के दरमियान फर्क करने वाली चीज़) नमाज़ का छोड़ना है।
*✍🏼सहीह मुस्लिम*
*✍🏼नमाज़ की अहमिय्यात* 12
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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