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Monday 28 January 2019

*सूरतुल बक़रह, रुकुअ-29, आयत, ②②⑨*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

यह तलाक़ (1) दो बार तक है फिर भलाई के साथ रोक लेना है (2) या नेकी के साथ छोड़ देना है (3) और तुम्हें रवा नहीं कि जो कुछ औरतों को दिया (4) उसमें से कुछ वापिस लो (5) मगर जब दोनों को डर हो कि अल्लाह की हदें क़ायम न करेंगे (6) फिर अगर तुम्हें डर हो कि वो दोनों ठीक उन्हीं हदों पर न रहेंगे तो उनपर कुछ गुनाह नहीं इसमें जो बदला देकर औरत छुट्टी ले (7) ये अल्लाह की हदें हैं इनसे आगे न बढ़ो तो वही लोग ज़ालिम हैं.


*तफ़सीर*

(1) यानी तलाक़े रजई. एक औरत ने सैयदे आलम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की ख़िदमत में हाज़िर होकर अर्ज़ किया कि उसके शौहर ने कहा है कि वह उसको तलाक़ देता और रूजू करता रहेगा. हर बार जब तलाक़ की इद्दत गुज़रने के क़रीब होगी रूजू कर लेगा, फिर तलाक़ दे देगा, इसी तरह उम्र भर उसको क़ैद में रखेगा. इस पर यह आयत उतरी और इरशाद फ़रमाया कि तलाक़ रजई दो बार तक है. इसके बाद फिर तलाक़ देने पर रूजू करने का हक़ नहीं.

(2) रूजू करके.

(3) इस तरह कि रूजू न करे और इद्दत गुज़रकर औरत बयान हो जाए.

(4) यानी मेहर.

(5) तलाक़ देते वक़्त.

(6) जो मियाँ बीवी के हुक़ूक के बारे में है.

(7) यानी तलाक़ हासिल करे. यह आयत जमीला बिन्ते अब्दुल्लाह के बारे में उतरी. यह जमीला साबित बिन क़ैस इब्ने शमास के निकाह में थीं और शौहर से सख़्त नफ़रत रखतीं थीं. रसूले खुदा सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के हुज़ूर में अपने शौहर की शिकायत लाई और किसी तरह उनके पास रहने पर राज़ी न हुई, तब साबित ने कहा कि मैं ने इनको एक बाग़ दिया है अगर यह मेरे पास रहना गवारा नहीं करतीं और मुझसे अलग होना चाहती हैं तो वह बाग़ मुझे वापस करें, मैं इनको आज़ाद कर दूँ. जमीला ने इसको मंज़ूर कर लिया. साबित ने बाग़ ले लिया और तलाक़ दे दी. इस तरह की तलाक़ को ख़ुला कहते हैं. ख़ुला तलाक़े बयान होता है. ख़ुला में “ख़ुला” शब्द का ज़िक्र ज़रूरी है. अगर जुदाई की तलबगार औरत हो तो ख़ुला में मेहर की मिक़दार से ज़्यादा लेना मकरूह है और अगर औरत की तरफ़ से नुशूज़ न हो, मर्द ही अलाहिदगी चाहे तो मर्द को तलाक़ के बदले माल लेना बिल्कुल मकरूह है.

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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*​DEEN-E-NABI ﷺ*

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