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Friday 23 November 2018

*फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा* #05


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*_आइशा की शाने इबादत व सख़ावत_*

     इबादत में भी अइशाرضي الله تعالي عنها का मार्तबा बहूत ही बुलन्द है ,आइशा के भतीजे हज़रते इमाम क़सिम बिन मुहम्मद बिन अबू बक्र सिद्दीकرضي الله تعالي عنه का बयान है कि हज़रते आइशा रोज़ाना बिला नाग़ा नमाजे तहज्जूद पढ़ने की पाबन्द थी और अक्सर रोज़ादार भी रहा करती थीI

     सखावता और स-दकातो खैरात के मूआ-मले में भी तमाम उम्महातुल मुअमिनीन में खास तोर पर बहूत मुमताज़ थी।

     उम्मे दर्राرضي الله تعالي عنها कहती है कि मैं हजरते आईशा के पास थी उस वक्त़ एक लाख दिरहम कही से आप के पास आए,आप ने उसी वक़्त उन सब दिरहमो को लोगो में तक्सीम कर दिया और एक भी घर में बाक़ी नहीं छोडा । उस दिन वोह रोज़ादार थी। मैं ने अर्ज़ किया कि आप ने सब दिरहामों को बांट दिया और एक दिरहम भी बाक़ी नही रखा ताकि आप गोश्त खरीद कर रोज़ा इफ्ताऱ करर्ती, तैा आप ने फ़रमाया कि तुम ने अगर मुझ से पहले कहा होता तो में एक दिरहम का गोश्त मंगा लेती।

     आपرضي الله تعالي عنها के फ़जाइलो मनाकिबा में बहूत सी हदीसे आई है।

     17 र-मजानुल मुबारक शबे सेह शम्बा (मंगल की रात) 57 या 58 हि. ,में मदीनए मुनव्वरह के अन्दर आपرضي الله تعالي عنها की वफात़ हूई । हजरते अबू हुरैराرضي الله تعالي عنه ने आप की नमाज़े जनाज़ा पढ़ाई और आप की वसिय्यत के मुताबिक रात में लोगों ने आप को ज़न्नतुल बकीअ के क़ब्रिस्तान में दूसरी आज्वाजे मात्हहरात की क़ब्रो के पहलू में दफ़न दिया।

*✍सीरते मुस्तफ़ा, 660-662*

*✍️फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा* 16

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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