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Monday 26 November 2018

_फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा​​​_* #08

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_करामते आइशा सिद्दीक़ा_*

     हज़रते रुहुल अमिन का हज़रते आइशा सिद्दीक़ाرضي الله تعالي عنها को सलाम कहना और आप के बिस्तर पर रसूले खुदा पर वही उतरना इन दो रिवायत को शैखुल हदिष मुफ़्ती अब्दुल मुस्तफा आज़मी अलैरहमा ने हज़रते आइशा सिद्दीक़ाرضي الله تعالي عنها की करामत में शुमार किया है और इस के इलावा आप की एक तीसरी करामत भि बयां फ़रमाई है।


*_आइशा की रहनुमाई से बारिश_*

     एक मर्तबा मदीने में बारिश नही हुई और लोग शदीद कहत मर मुब्तला हो कर बिलबिला उठे। जब लोग कहत की शिकायत ले कर हज़रते आइशाرضي الله تعالي عنها की खिदमत में पहुचे तो आप ने फ़रमाया की मेरे हुजरे में जहा हुज़ूरे अन्वरﷺ की क़ब्र है, उस हुजरए मुबारक की छत में एक सुराख कर दो ताकि हुजरए मुनव्वरह से आसमान नज़र आने लगे।

     चुनांचे जेसे ही लोगो ने छत में एक सुराख़ बनाया फौरन ही बारिश शुरू हो गई और अतराफे मदीना की ज़मीन सर सब्ज़ो शादाब हो गई और उस साल घास और जानवरो का चारा भी इस क़दर ज़्यादा हुवा की कसरते खुराक से ऊंट फर्बा हो गए और चर्बी की ज़्यादती से उन के बदन फूल गए।

*✍🏽सुनन अल-दारिमि, 58*

     हज़रत मुफ़्ती अहमद या खान नईमी अलैरहमा इस हदिष के तहत फरमाते है : मालुम हुवा की आसमानी आफत की शिकायत अल्लाह के मक़बूल बन्दों से कर सकते है। मजीद फरमाते है : सहाबा हुज़ूरﷺ की हयात शरीफ में हुज़ूरﷺ के तवस्सुल से दुआए मांगते थे। बादे वफ़ात आइशा ने हुज़ूरﷺ की क़ब्र बल्कि इसकी खाक की बरकत से दुआ कराइ, ये भी दर हक़ीक़त हुज़ूरﷺ ही के वसीले से दुआ है।

     ये तरीक़ा बहुत मुबारक है, इस हदिष से चन्द मसअले मालुम हुए : एक ये की वफ़ात याफ्ता बुज़ुर्गो के वसीले से दुआए करना जाइज़ है। दूसरे ये की उन के तबर्रुकात के वसीले से दुआए करना जाइज़ बल्कि सुन्नते सहाबा है। तीसरा ये की बुज़ुर्गो की क़ब्रे बी इज़्ने इलाही दाफ़ेउल बला और मुश्किल कुशा है।

*✍🏽मीरआतुल मनाजिह, 8/272*

*✍🏽फैज़ाबे आइशा सिद्दीक़ा, 19*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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