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Friday 30 November 2018

अज़ानों इकामत का बयान* #05

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

     *सुवाल* - क्या अज़ान सिर्फ नमाज़ों के लिये दी जा सकती है? 

     *जवाब* - जी नहीं! बल्कि दर्जे जैल मवाकेअ पर भी अजान देना मुस्तहब है : (1) बच्चे की पैदाइश (2) ग़मगीन (3) मिर्गी वाले (4) गज़ब नाक और बद मिज़ाज आदमी और (5) बद मिज़ाज जानवर के कान में (6) लड़ाई की शिद्दत के वक्त (7) आग लगने के वक्त (8) मय्यित दफ्न करने के बाद (9) जिन्न की सरकशी के वक्त (या किसी पर जिन्न सुवार हो) (10) उस वक्त जब जंगल में रास्ता भूल जाएं और कोई बताने वाला न हो और (11) वबा के जुमने में भी अज़ान देना मुस्तहब है। 


     *सुवाल* - इकामत के वक्त कोई शख्स आया तो उस का खड़े हो कर इन्तिज़ार करना कैसा? 

     *जवाब* - इकामत के वक्त कोई शख्स आया तो उसे खड़े हो कर इन्तिज़ार करना मकरूह है बल्कि बैठ जाए जब इकामत कहने वाला हय्या-अ-ल-लफलाह पर पहुंचे उस वक़्त खड़ा हो। यूँही जो मस्जिद में मौजूद है, वो भी बैठे रहे ओर  उस वक़्त उठे। यही हुक्म इमाम के लिए भी है।

*✍️दिलचस्प मालूमात* 52

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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