بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ
اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ
यह (6) एक उम्मत है कि गुजर चुकी (7) उनके लिये जो उन्होंने कमाया और तुम्हारे लिये है जो तुम कमाओ और उनके कामों की तुम से पूछगछ न होगी.
*तफ़सीर*
(6) यानी हज़रत इब्राहीम और यअक़ूब अलैहिस्सलाम और उनकी मुसलमान औलाद.
(7) ऐ यहूदियों, तुम उनपर लांछन मत लगाओ.
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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