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Sunday 25 November 2018

सूरतुल बक़रह, रुकुअ-19, आयत, ①⑤⑨*

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

बेशक वो हमारी उतारी हुई रौशन बातों और हिदायत को छुपाते हैं(10) बाद इसके कि लोगों के लिये हम उसे किताब में वाज़ेह (स्पष्ट) फ़रमा चुके उनपर अल्लाह की लअनत है और लअनत करने वालों की लअनत (11).


*तफ़सीर*

     (10) यह आयत यहूदियों के उन उलमा के बारे में उतरी जो सैयदे आलम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की नात शरीफ़ और आयते रज्म और तौरात के दूसरे आदेश छुपाया करते थे. यहाँ से मालूम हुआ कि दीन की जानकारी को ज़ाहिर करना फ़र्ज़ है.

     (11) लानत करने वालों से फ़रिश्ते और ईमान वाले लोग मुराद हैं. एक क़ौल यह है कि अल्लाह के सारे बन्दे मुराद हैं.

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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*​DEEN-E-NABI ﷺ*

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