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Sunday 18 November 2018

बद गुमानी* #14

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

आप गौर करते जाएं तो शबो रोज न जाने कितनी मरतबा हम बद  गुमानी का शिकार होते होंगे। फिर येह इब्तिदाअन पैदा होने वाली बद गुमानी उस शख्स के ऐबों की टोह में लगाती, हसद पर उभारती, गीबत और बोहतान पर उक्साती और आखिरत बरबाद करती है। इसी बद गुमानी की वजह से भाई भाई में दुश्मनी हो जाती है, सास बहू में ठन जाती हैं, मियां बीवी में जुदाई, भाई बहने के दरमियान कत्अ तअल्लुकी हो जाती है और यूं हंसते बसते घर उजड़ जाते हैं, और अगर येही बद गुमानी किसी मज़हबी तहरीक से वाबस्ता अफ़राद में आ जाए तो निगरान व मा तहूत के दरमियान एतेमाद की फज़ा खत्म हो जाती है जिस की वजह से  ना काबिले बयान नुक्सान उठाना पडटा है। और अगर येह बद गुमानी औलियाए किराम बिल्खुसूस अपने पीरो मुर्शिद से हो तो ऐसा शख्स फुयुज़ो बरकात से महरूम रह जाता है। इमामे अहले सुन्नत मुजद्दिदे दीनो मिल्लत अश्शाह मौलाना अहमद रजा खान رحمة الله عليه मुरीद पर पीर के हुकूक का बयान करते हुए कुछ यूं लिखते हैं: “(अपने पीर से मुतअल्लिक) दिल में बद गुमानी को जगह न दे बल्कि यकीन जाने कि मेरी समझ की गलती है।" 

*✍️माखूज़ अज़ फतावा रज़वीयया* 24/369

*✍️बद गुमानी* 34

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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