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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ
اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ
*सुवाल* - खुतबे की आवाज़ न पहुंचती हो तो क्या हुक्म है ?
*जवाब* - जिस तक खुत्बे की आवाज न पहुंचती हो वोह भी खामोश रहे।
*सुवाल* - क्या खामोशी के इलावा खुत्बा सुनने के किछ और भी आदाब है ?
*जवाब* - ख़ुत्बे के वक़्त सिर्फ ज़बान से खामोशी काफी नहीं बल्कि सुकून व इत्मीनान से बैठना भी ज़रूरी है, कंकर पत्थरो से खेलना भी ममनुअ है। उलमा फरमाते है कि ख़ुत्बे के वक़्त दामन या पंखे से हवा करना भी मना है अगरचे गर्मी हो, इस वक़्त हमा तन ख़ुत्बे की तरफ मुतवज्जेह होना ज़रूरी है।
*सुवाल* - पहला खुत्बा हाथ बांध कर और दूसरा जानुओ पर हाथ रख कर सुनने का क्या अज्र है ?
*जवाब* - बुजुर्गाने दीन फरमाते है कि दो जानू बैठ कर खुत्बा सुने, पहले ख़ुत्बे में हाथ बांधे और दूसरे में जानुओ पर हाथ रखे तो ان شاء الله दो रकअत का सवाब मिलेगा।
*✍️दिलचस्प मालूमात* 82
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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