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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ
اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ
और जब पीठ फेरे तो ज़मीन में फ़साद डालता फिरे और खेती और जानें तबाह करे और अल्लाह फ़साद से राज़ी नहीं.
*सूरतुल बक़रह, रुकुअ-25, आयत, ②ⓞ⑥*
और जब उससे कहा जाए कि अल्लाह से डरो तो उसे और ज़िद चढ़े गुनाह की (21) ऐसे को दोज़ख़ काफ़ी है और
वह ज़रूर बहुत बुरा बिछोना है.
*तफ़सीर*
(21) गुनाह से ज़ुल्म और सरकशी और नसीहत की तरफ़ ध्यान न देना मुराद है.
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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