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Saturday 5 January 2019

सूरतुल बक़रह, रुकुअ-25, आयत, ②ⓞ⑤*

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

और जब पीठ फेरे तो ज़मीन में फ़साद डालता फिरे  और खेती और जानें तबाह करे और अल्लाह फ़साद से राज़ी नहीं.


*सूरतुल बक़रह, रुकुअ-25, आयत, ②ⓞ⑥*

और जब उससे कहा जाए कि अल्लाह से डरो तो उसे और ज़िद चढ़े गुनाह की (21) ऐसे को दोज़ख़ काफ़ी है और 

वह ज़रूर बहुत बुरा बिछोना है.


*तफ़सीर*

(21) गुनाह से ज़ुल्म और सरकशी और नसीहत की तरफ़ ध्यान न देना मुराद है.

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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*​DEEN-E-NABI ﷺ*

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