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Monday 7 January 2019

गुरबत के फुवाइद* #2

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

      दुन्या के येह अमीर व सरमाया दार आखिरत में गरीब। व नादार और महूज़ दुन्यवी इज्ज़त दार वहां ज़लीलो ख्वार होंगे , आप फ़िक्र न कीजिये , अल्लाह के रोज़ी का ज़ामिन है वोह तुम्हारे लिये रिज्क का इन्तिज़ाम फ़रमाएगा , हम इन दुन्यावी अमीरों से ज़ियादा अमीर हैं। 

     दुन्या व आखिरत में कामिल मसर्रत हमें हासिल है न रन्जो गुम है और न इस की परवाह कि हमारी सुब्ह कैसे हुई और शाम कैसे ? बस शर्त येह है कि अल्लाह की इताअत व फ़रमां बरदारी के मुआमले में कोताही आड़े न आने दें । ' येह फ़रमा कर आप رضی اﷲ تعالٰی عنه , नमाज़ में मश्गूल हो गए और मैं ने भी नमाज़ शुरू कर दी । थोड़ी ही देर बाद एक शख्स हमारे पास 8 रोटियां और बहुत सी खजूरें ले कर आया और येह कह कर वापस चला गया कि खाइये ! अल्लाह - तुम पर रहूम फ़रमाए। 

        हुज़रते सय्यदुना इब्राहीम बिन अदहम  رضی اﷲ تعالٰی عنه  ने मुझ से फ़रमाया : " लीजिये और खाइये।",  जू ही हम खाना खाने लगे , एक साइल ने सदा लगाई कि अल्लाह के नाम पर मुझे कुछ खाना दे दीजिये।

      हज़रते सय्यदुना इब्राहीम बिन अदहम  رضی اﷲ تعالٰی عنه  ने तीन रोटियां और कुछ खजूरें उस हाजत मन्द को दे दीं और फ़रमाया :  *“गम ख्वारी करना अहले ईमान का हिस्सा है।"*

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله

*✍🏼 ग़रीब फाएदे में है   पेज 6*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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*​DEEN-E-NABI ﷺ*

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