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Saturday 3 November 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #297


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*क़ौम का बतौर तंज़ जवाb*

     शोएब عليه السلام ने कौम को अल्लाह तआल की वहदानियत पर ईमान लाने और उसके बगैर किसी की इबादत न करने का हुक्म दिया तो क़ौम ने कहा कि हम तो अपने बाप दादा के तरीके को नहीं छोड़ सकते, वह कई माबूदों की इबादत करते थे, हम भी यही करेंगे। 

     और आप عليه السلام ने क़ौम को कम तौलने और कम नापने से मना किया और कहा कि लोगों को भी घटाकर न दो तो यह कहने लगे कि हम तो माल जमा करना चाहते हैं, माल जमा करने के मुख्तलिफ हथकंडे हैं हम जिस तरह जमा करने का इरादा रखते हैं इसके खिलाफ कोई कदम उठाने के लिये तैयार नहीं। तनज़न उन्होंने कहा कि तुम बड़े नमाज़ी, ईमानदार और दीनदार बने बैठे हो, यह तुम्हारी नमाज़े तुम्हें कहती हैं कि तुम हमें अपने बाप दादा के दीन से फेर दो और हमें माल न जमा करने दो, हा जी तुम बडे अकलमन्द और नेक चलन समझते हो अपने शापको, हम तो तुम्हें बेवकूफ समझते हैं हम तुम्हारी बातो में कैसे आयें? 

     आपने कहा मैं जो कहता हूं वही करता हूं, कहा ऐ मेरी क़ौम भला बताओ अगर मैं अपने रब की तरफ़ से रौशन दलील पर हूं और उसने मुझे अपने पास से अच्छी रोज़ी दी और मैं नहीं चाहता हूं कि जिस बात से तुम्हें मना करता हूं आपको उसके खिलाफ करने लगू मैं तो जहां तक बने संवारना ही चाहता हूं और मेरी तौफीक़ अल्लाह तआला की ही तरफ से है मैंने उसी की तरफ भरोसा किया और की तरफ रुजू करता हूं।

     आप عليه السلام ने फरमया कि अल्लाह तआल ने मुझे इल्मे हिदायत दीन और नबुव्वत अता की है और मुझे रिज़्के हलाल बहुत ज्यादा अता किया है (याद रहे हज़रत शोएब عليه السلام बहुत मालदार थे) जब अल्लाह तआला ने मुझे सआदते रूहानिया या नबुव्वत व मोजिज़ात और सआदते जिस्मानिया यानी माल व रिज्के हलाल अता किया है तो यह कैसे हो सकता है कि इतने अज़ीम इनामात के होते हुए अल्लाह तआला की वही और उसके अवामिर व नवाही में ख्यानत करू?

     "इन न क ल अन तल हलीमुर रशीद" का एक मतलब यह भी है के क़ौम ने आपके हौसला और अक्लमंदी का एतेराफ़ करते हुए कहा कि तुम तो हौसलामंद और अक्लमंद हो फिर भी हमे अपने आबा व अजदाद के दीन से वयों रोकते हो? तो आप عليه السلام ने फरमया कि जब तुम मेरी अक़्लमंदी के मुअतरिफ़ हो तो समझ लो की मैं तुम्हें बेहतर राह पर चलान चाहता हूं, और खुद भी इस पर क़ायम हूं। ऐसा नही हो सकता कि में तुम्हे तो बुरे आमाल से मन करूं और खुद उन पर अमल करू। मुझे अल्लाह पर भरोसा हासिल है और मुझे उसकी तरफ रुजू करना है।

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 260

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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