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Friday 17 February 2017

*फैजाने नवाफ़िल* #02
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_सलातुललैल_*
     रात में बाद नमाज़े ईशा जो नवाफ़िल पढ़े जाए उन को स्लातुललैल कहते है और रात के नवाफ़िल दिन के नवाफ़िल से अफज़ल है की सहीह मुस्लिम में है : हुज़ूरﷺ ने इरशाद फ़रमाया : फर्ज़ो के बाद अफज़ल नमाज़ रात की नमाज़ है।
*✍🏽सहीह मुस्लिम, 591, हदिष:1163*

*_तहज्जुद और रात में नमाज़ पढ़ने का षवाब_*
     अल्लाह पारह 21 सुरतुस्सज्दा आयत 16, 17 में इरशाद फ़रमाता है :
     इन की करवटे जुदा होती है ख्वाब गाहों से और अपने रब को पुकारते है डरते और उम्मीद करते और हमारे दिये हुए से कुछ खैरात करते है तो किसी जी को नही मालुम जो आँख की ठंडक इन के लिये छुपा रखी है सिला इन के कामो का।
     सलातुल्लैल की एक किस्म तहज्जुद है की ईशा के बाद रात में सो कर उठे और नवाफ़िल पढ़े, सोने से क़ब्ल जो कुछ पढ़े वो तहज्जुद नही। कम से कम तहज्जुद की दो रकअते है और हुज़ूर से 8 तक साबित है।
*✍🏽बहारे शरीअत, 4/26*
     इसमें किराअत का इख़्तियार है की जो चाहे पढ़े, बेहतर ये है की जितना क़ुरआन याद है वो तमाम पढ़ लीजिये वरना ये भी हो सकता है की हर रकअत में सूरए फातिहा के बाद 3 बार सूरतुल इखलास पढ़ लीजिये की इस तरह हर रकअत में क़ुरआने करीम खत्म करने का षवाब मिलेगा, ऐसा करना बेहतर है, बहर हाल सूरए फातिहा के बाद कोई भी सूरत पढ़ सकते है।
*✍🏽फतावा रज़विय्या, 7/447*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 270*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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