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Monday 20 February 2017

*फैजाने नवाफ़िल* #05
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*स्लातुत्तस्बिह*
     इस नमाज़ का बे इंतिहा षवाब है, हुज़ूरे अक़दस ﷺ ने अपने चचाजान हज़रते अब्बास رضي الله تعالي عنه से फ़रमाया की ऐ मेरे चचा ! अगर हो सके तो स्लातुत्तस्बिह हर रोज़ एक बार पढ़िये और अगर रोज़ाना न हो सके तो हर जुमुआ को एक बार पढ़ लीजिये और ये भी न हो सके तो हर महीने में एक बार और ये भी न हो सके तो साल में एक बार और ये भी न हो सके तो उम्र में एक बार।
*✍🏽सुनन इब्ने दाऊद, 2/44, हदिष:1297*

*_स्लातुत्तस्बिह पढ़ने का तरीक़ा_*
     इस नमाज़ की तरकीब ये है की 4 रकअत नमाज़ पढ़े, तकबीरे तहरिमा के बाद सना पठे फिर 15 बार ये तस्बीह पढ़े,
*سُبٙـحٰنٙ اللّٰهِ وٙالْـحٙـمْـدُ لِلّٰهِ وٙلٙآ اِلٰهٙ اِلّٙا اللّٰهُ وٙاللّٰهُاٙكْـبٙـر*
फिर अऊज़ु और बिस्मिल्लाह और सूरए फातिहा और कोई सूरत पढ़ कर ये तस्बीह 10 बार पढ़े
     रूकू में सुब्हान रब्बियल अज़ीम 3 बार पढ़ के इस तस्बीह को 10 बार पढ़े।
     रूकू से उठ कर समीअल्लाहु-लीमन-हामिदह और अल्लाहुम्म-रब्बना-व-लकलहमद के बाद 10 बार ये तस्बीह पढ़े।
     फिर सजदे में जा कर सुब्हान रब्बियल अ'अला 3 बार पढ़ कर ये तस्बीह 10 बार पढ़े।
     फिर सजदे के दरमियान 10 बार पढ़े, इसी तरह दूसरे सजदे में भी 10 बार पढ़े।
     यु ही हर रकअत में 75 मर्तबा तस्बीह पढ़ी जाएगी और 4 रकअत में तस्बीह की गिनती 300 बार होगा।
*✍🏽बहारे शरीअत, 4/32*

*नॉट :* तस्बिह उंगलियो पर न गिने बल्कि हो सके तो दिल में शुमार करे या उंगलिया दबा कर गिने।
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 279*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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