*फैजाने नवाफ़िल* #09
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*
*_नमाज़े तौबा_*
हज़रते अबू बक्र सिद्दीक़ رضي الله تعالي عنه से रिवायत है की हुज़ूरे पाक ﷺ फरमाते है : जब कोई बन्दा गुनाह करे फिर वुज़ू करके नमाज़ पढ़े फिर इस्तिग़फ़ार करे, अल्लाह उस के गुनाह बख्श देगा। फिर ये आयत पढ़ी :
तर्जमा : और वो की जब कोई बे हयाई या अपनी जानो पर ज़ुल्म करे अल्लाह को याद कर के अपने गुनाहो की मुआफ़ी चाहे और गुनाह कौन बख्शे सिवा अल्लाह के ? और अपने किये पर जान बुझ कर अड़ न जाए।
पारह,3 सूरह आले इमरान, 135
*✍🏽तिर्मिज़ी, 1/415, हदिष:406*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 291*
*___________________________________*
मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*DEEN-E-NABI ﷺ*
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हज़रते अबू बक्र सिद्दीक़ رضي الله تعالي عنه से रिवायत है की हुज़ूरे पाक ﷺ फरमाते है : जब कोई बन्दा गुनाह करे फिर वुज़ू करके नमाज़ पढ़े फिर इस्तिग़फ़ार करे, अल्लाह उस के गुनाह बख्श देगा। फिर ये आयत पढ़ी :
तर्जमा : और वो की जब कोई बे हयाई या अपनी जानो पर ज़ुल्म करे अल्लाह को याद कर के अपने गुनाहो की मुआफ़ी चाहे और गुनाह कौन बख्शे सिवा अल्लाह के ? और अपने किये पर जान बुझ कर अड़ न जाए।
पारह,3 सूरह आले इमरान, 135
*✍🏽तिर्मिज़ी, 1/415, हदिष:406*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 291*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
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