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Saturday 4 February 2017

*इमामत का बयान* #02
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     इक़ामत के बाद इमाम साहिब एलान करे, अपनी एड़िया, गर्दने और कंधे एक सीध में कर के सफ सीधी कर लीजिये। दो आदमियो के बिच में जगह छोड़ना गुनाह है,
     कंधे से कंधा मस यानि टच किया हुवा रखना वाजिब, सफ सीधी रखना वाजिब और जब तक अगली सफ कोने तक पूरी न हो जाए जानबुझ कर पीछे नमाज़ शुरू कर देना तर्के वाजिब, हराम और गुनाह है।
     15 साल से छोटे ना बालिग़ बच्चों को स्फो में खड़ा न रखिये, इन्हें कोने में भी न भेजिये छोटे बच्चों की सफ सद से आखिर में बनाइये।
*✍🏽फतावा रज़विय्या, 7/219 ता 225*

_*जमाअत का बयान*_
     आकिल, बालिग़, आज़ाद  और क़ादिर पर मस्जिद की जमाअते ऊला वाजिब है बिला उज़्र एक बार भी छोड़ने वाला गुनाहगार और मुसरहिके सज़ा है
     और कई बार तर्क करे तो फासिद् मर्दुदुश्शहादह (यानी उसकी गवाही क़ाबिले क़बूल नहीं) और उसको सख्त सज़ा दी जाए अगर पड़ोसियों ने खामोशी इख्तियार की तो वो भी गुनाहगार।
*✍🏽दुर्रे मुख्तार व रद्दलमोहतार, 2/287*

     बाज़ फ़ुक़हाए किराम फरमाते है कि जो शख्स अज़ान सुन कर घर में इक़ामत का इंतज़ार करता है तो वो गुनाहगार होगा और उसकी गवाही क़बूल नहीं।
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, स.203*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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