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Tuesday 21 February 2017

*फैजाने नवाफ़िल* #06
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_सलातुल अव्वाबीन  की फ़ज़ीलत_*
     हज़रते अबू हुरैरा رضي الله تعالي عنه से रिवायत है की हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया : जो मगरिब के बाद 6 रकअत इस तरह अदा करे की इन के दरमियान कोई बुरी बात न कहे तो ये 6 रकअत 12 साल की इबादत के बराबर होगी।
*✍🏽सुनन इब्ने माजा, 2/45, हदिष:1167*

*_नमाज़े अव्वाबीन का तरीक़ा_*
     मगरिब की 3 रकअत फ़र्ज़ पढ़ने के बाद 6 रकअत एक ही निय्यत से पढ़िये, हर 2 रकअत पर क़ायदा कीजिये और इस में अत्तहिय्यात, दुरुदे इब्राहिम और दुआ पढ़िये, पहली, तीसरी और पाचवी रकअत की इब्तिदा में सना, अऊज़ो और बिस्मिलाह भी पढ़िये। छटी रकअत के क़ायदे के बाद सलाम फेर दीजिये। पहली 2 रकअत सुन्नते मुअक्कदा हुई और बाक़ी 4 नवाफ़िल। ये है अव्वाबीन यानी तौबा करने वालो की नमाज़।
*✍🏽अल वज़िफतुल करीमा, 24*
   
     चाहे तो 2-2 रकअत करके भी पढ़ सकते है। बहारे शरीअत में है बादे मगरिब 6 रकअत मुस्तहब है इन को सलातुल अव्वाबीन कहते है, ख्वाह एक सलाम से सब पढ़े या 2 सलाम से या 3 सलाम से, और 3 सलाम से यानी हर 2 रकअत पर सलाम फेरना अफज़ल है।
*✍🏽दुर्रे मुख्तार, 2/547*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 284*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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