Pages

Friday 24 February 2017

*ज़िक्र करनेवाला और सवाल करनेवाला* #1
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

         हज़रत मोहियुद्दीन अब्दुल कादर जीलानी  رضي الله تعالي عنهने इर्साद फ़रमाया: हुज़ूर नबीए करीम सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम हदीसे कुदसी में फरमाते है: "खुदातआला ने कहा है के जिस शख्स ने मेरे ज़िक्र में मसरूफ़ रेहने की वजहसे मुज़से सवाल न किया, मैं उसे तमाम सवाल करनेवालों से ज़यादा दूँगा।"
      ये इसलिये फ़रमाया गया के जब अल्लाह तआला किसी एहले ईमान मकबूल व बरगुज़ीदा बनाना चाहता है तो उसे मुख़तलिफ़ एहवाल की राह पर चलाता है और किस्म किस्मकी बला और मुसीबत के ज़रिये उसका इम्तेहान लेता है और उसे सरवत व दौलत अता करने के बाद फिर फक्रोफाका में मुब्तेला करदेता है और उसपर रोज़ीकी तमाम राहें बन्द करके ऐसे हालात पैदा कर देता है के वो मख्लूक़ से सवाल करने पर मजबूर हो जाए।
फिर उसे सवाल से मेहफ़ूज़ करके सुन्नत के मुताबिक कसब के लिये मुज़तरिब कर देता है, फिर उस पर कस्बको भी मुश्किल कर देता है। इसके बाद उसे इल्हाम करता है के लोगों से सवाल करे। ईस मकसद के लिये ऐसे अमरे बातिन के साथ हुकम करता है जिसे वो जानता पेहचानता है। ये हुकम बजा लाना उसके लिये इबादत और उसे छोड़ देना गुनाह बन जाता है और ये सब कुछ इस लिये किया जाता है के इसका नफ़स शिकस्ता हो जाए। ये रियाज़तकी एक हालत है।
        इस हालमें इसका सवाल करना अमर (हुकम) और जबर(ताकत) की वजहसे होता है, खुदा के साथ शिर्क के तौर पर नहीं। फिर उसको सवाल से भी मेहफ़ूज़ कर लिया जाता है। और क़र्ज़ मांगनेका हुकम दिया जाता है और ये हुकम भी पेहले की तरह कतई और रेहमती होता है, जिसको छोड़ना नामुमकिन होता है। फिर उसको इससे भी हटा दिया जाता है और वो अपनी तमाम ज़ुरुरतें खुदाहीसे मांगने लगता है। जो उसे अता करदी जाती है। लेकिन अगर वो सवाल करने से एराज़ (बचना) व-इजतेनाब(परहेज़ करना) कर ले और चुप रहे तो उसे नहीं दिया जाता।

बाक़ी कल की पोस्ट में... इंसा अल्लाह

*✍🏽फुतूहल ग़ैब*  पेज 109
*_____________________________________*
मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*_____________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 90335 03799
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in

No comments:

Post a Comment