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Friday 10 February 2017

*जुम्मा को रुहो का अपने घर आना*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हजरत शाह अब्दुल हक मुहद्दिस (रहमतुल्लाह अलैह) नक्ल करते है की:-
"बाज रिवायतो मे आया है की मय्यत की रुह सबे जुम्मा को अपने घर आती है और देखती है की उसकी तरफ से कोई सदका करता है या नही??
*✍🏽अशहतुल लमआत शरहे मिश्कात बाब : किताबुल जनैज जियारते कुबुर जिल्द-2, सफा-924-925*
*✍🏽फत्वा रिजवीया जिल्द-9, सफा-652*

     मोमीन की रुह हर सबे जुम्मा, ईद के दिन, आशुरह के दिन, और शबे बरात, अपने घर आकर बाहर खड़ी होती है और हर रुह गमनाक बुलन्द अवाज से निदा करती है की ऐ मेरे घर वालो ऐ मेरे औलाद ऐ मेरे रिश्तेदारो सदका करके हम पे मेहरबानी करो।
*✍🏽कशफुल गैत बाब : अहकामे दुआ सफा-66*
*✍🏽फत्वा रिजवीया जिल्द-9, सफा-652*

     कम से कम जुम्मा के दिन अपने घर इन्तेकाल कर चुके घरवालो को इसाले सवाब जरुर कर दिया करे। क्योंकी हम जो पढ़कर या करके इसाले सवाब करेंगे ओ उनको पहुंचेगा जिससे उनको फायदा हासिल होगा।
     अगर वो मय्यत गुनाहगार थी तो गुनाह माफ होंगे और नेकियां मिलेगी और मय्यत नेक थी तो उसके जन्नत मे दर्जे बुलन्द होंगे।
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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