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Thursday 2 February 2017

*ज़ोहर के आखिरी दो नफ्ल के भी क्या कहने*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     ज़ोहर के बाद चार रकअत पढ़ना मुस्तहब है कि हदीसे पाक में फ़रमाया जिसने ज़ोहर से पहले चार और बाद में चार पर मु हाफ़ज़त की अल्लाह तआला उस पर आग हराम फ़रमा देगा।

     अल्लामा सय्यिद तहतावी अलैरहमा फरमाते है कि सिरे से आग में दाखिल ही न होगा और उसके गुनाह मिटा दिये जाएंगे और उस पर (बन्दों की हक़ तलफियो के) जो मुतालबात है अल्लाह तआला उसके फरीक को राज़ी कर देगा या ये मतलब है कि ऐसे कामो की तौफ़ीक़ देगा जिन पर सज़ा न हो।

     अल्लामा शामी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते है कि उसके लिये बिशारत ये है कि सआदत पर उस का खातिमा होगा और दोज़ख में न जाएगा।

*✍🏽शामी 2/542*
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, स.200*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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