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Friday 23 March 2018

*क़ुरआन में मे'राज का बयान* #01
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
     अल्लाह ने क़ुरआन में 3 मक़ाम पर इस का ज़िक्र फ़रमाया है।

*पहला मक़ाम*
     सूरए बनी इसराइल में इर्शाद हुआ: पाकी है उसे जो रातो रात अपने बन्दे को ले गया मस्जिदे हराम (काबा) से मस्जिदे अक़्सा (बैतूल मुक़द्दस) तक जिस के गिर्दा गिर्द हमने बरकत रखी कि हम उसे अपनी अज़ीम निशानियां दिखाएँ बेशक वो सुनता देखता है।
بنى اسراىٔيل، ١

     मुफ़स्सिरीने किराम फ़रमाते है: जब हुज़ूर ﷺ शबे मेराज बुलन्द तरीन मरतबों पर फाइज़ हुवे तो रब ने खिताब फ़रमाया: ऐ मुहम्मद ये फ़ज़ीलत व शरफ में ने तुम्हें क्यूं अता फ़रमाया? आप ﷺ ने अर्ज़ किया: इस लिये कि तूने मुझे अब्दिय्यत के साथ अपनी तरफ मन्सूब फ़रमाया, इस पर ये आयत नाज़िल हुई।
     इस आयत में प्यारे आक़ा ﷺ की ज़मीनी सैर (मस्जिदे हराम से बैतूल मुक़द्दस तक) का ज़िक्र है।

इससे चन्द एक मदनी फूल हासिल हुवे जो हम अगली पोस्ट में देखेंगे ان شاء الله...
*✍🏼फ़ैज़ाने मेराज* 56
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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