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Thursday 29 March 2018

*मेराज शरीफ के हवाले से मुफीद मालूमात* #02
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*मेराज शरीफ की हिकमतें* #01
     अल्लाह का कोई काम हिकमत से खाली नहीं होता, उस हकीम के हर काम में बे शुमार हिकमते होती है अगर्चे हमारी अक़्लें उसे समझने से क़ासिर है। यक़ीनन अपने महबूब को मेराज कराने के सिलसिले में भी उसकी बेशुमार हिकमतें होंगी, यहाँ बिल्कुल ज़ाहिर सिर्फ 4 हिकमतें बयान की जाती है। मुफ़्ती अहमद यार खान رحمة الله عليه फ़रमाते है :
     (1) तमाम मोजिज़ात और दरजात जो अम्बिया को अता फरमाए गए वो तमाम बल्कि उनसे बढ़  कर हुज़ूर ﷺ को अता हुवे। इसकी बहुत सी मिसाले है: हज़रते मूसा कलीमुल्लाह عليه السلام को ये दर्जा मिला कि वो कोहे तुर पर जा कर रब से कलाम करते थे, हज़रते ईसा عليه السلام चौथे आसमान पर बुलाए गए और हज़रत इदरीस عليه السلام जन्नत में बुलाए गए तो हुज़ूर को मेराज दी गई जिस्मे अल्लाह से कलाम भी हुवा आसमान की सैर भी हुई, जन्नत व दोज़ख का मुआइना भी हुवा गर्ज़ की वो सारे मरातिब एक मेराज में तै करा दिये गए।
     (2) तमाम पैगम्बरों ने अल्लाह की और जन्नत व दोज़ख की गवाहियाँ दी और अपनी अपनी उम्मतों से पढ़वाया कि اٙشْهٙدُ اٙنْ لّٙااِله اِلّٙا اللٰهُ मगर उन हज़रात में से किसी की गवाही देखि हुई न थी सुनी हुई थी और गवाही की इन्तिहा देखने पर होती है तो ज़रूरत थी की इस जमाअते पाक अम्बिया में कोई हस्ती वो भी हो कि उन तमाम चीजों को देख कर गवाही दे, उस की गवाही पर शहादत की तकमील हो जाए। ये शहादत की तकमील हुज़ूर ﷺ की ज़ात पर हुई।

बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍🏼फ़ैज़ाने मेराज* 63
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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