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Friday 23 March 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #91
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*हज़रत इब्राहिम عليه السلام का बुतों को तोडना* #02
     जब क़ौम अपने मेले पर चली गई तो आप عليه السلام ने मौक़ा को गनीमत समझा कि अब अपने इरादे को अमली जामा पहनाने का सुनहरा वक़्त आ गया है आपने चुपके से बुतखाने का रुख किया। वहां जाकर देखा कि क़ौम उनके पास तरह तरह के खाने रखकर गई है कि वापस आकर खायेंगे और बुतों की पूजा करेंगे। तो आपने बुतों के क़रीब जाकर कहा तुम खाते क्यों नहीं? आप عليه السلام के इस इर्शाद पर जब बुतों की तरफ से कोई जवाब न आया फिर तो आपने उन्हें कहा तुम्हें क्या हुआ तुम बोलते क्यों नहीं?
     वह बेजान पथ्थर की मूर्तियां उनकी तरफ से क्या जवाब आना था। जब आपने देखा की यह बूत खाने के क़ाबील नहीं, बोलने की इनमें ताक़त नहीं, अपने ही हाथो से तराशे हुए पथ्थरों के बेजान बूत है। तो आपने उनको मारना शुरू कर दिया।
  
बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍🏼तज़किरतुल अम्बिया* 83
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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