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Thursday 29 March 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #96
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*हज़रत इब्राहिम عليه السلام का बुतों को तोडना* #07
     हज़रत सारा जब हज़रत इब्राहिम عليه السلام के पास वापस आई तो आप नमाज़ अदा फरमा रहे थे आपने हाथ के इशारे से पूछा कैसा हाल है? आपने कहा अल्लाह ने काफ़िर के मक्र को उसी के सीने पर लौटा दिया यानी वो ज़लील हुआ उसने मुझे हाजरा बतौर खादिमा दी।
     क़ारी अय्याज़ ने फ़रमाया अम्बियाए किराम से मुतलक़न झूठ साबित नहीं हो सकता लेकिन यह झूठ जिनका ज़िक्र किया गया है यह सुनने वाले की तरफ मन्सूब है जिनको सुनने वाले ने झूठ समझा, इसलिये की ब जाहिर झूठ नज़र अता है हालांकि हक़ीक़त में झूठ नहीं थे लिहाज़ा हुज़ूर ﷺ के इर्शाद का मतलब यह है कि इब्राहिम عليه السلام ने तीन तरह के कलाम फ़रमाया कि लोगों ने उसे झूठ समझा इन तीन मर्तबा के अलावा आपने कोई ऐसा कलाम नहीं फ़रमाया जिसको लोगों ने भी झूठ समझा हो।
     पहला इर्शाद : में बीमार होने वाला हूँ। आपके इस इर्शाद का मतलब पहले तफसिलन बयान हो गया कि क़ौम ने आपको मेला में शिरकत की दावत दी तो आपने सितारों को देखकर फ़रमाया "में बीमार होने वाला हूँ" आपने ये नहीं फ़रमाया कि में कल ही बीमार होने वाला हूँ बल्कि आपने सिर्फ यह फ़रमाया की में बीमार होने वाला हूँ, इंसान ज़िन्दगी में कभी न कभी तो ज़रूर बीमार होता है आपने मायना दूर वाला लिया और लोगों ने क़रीब वाला समझा यह "तोरियह" कहलाता है जो जाइज़ है।

बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍🏼तज़किरतुल अम्बिया* 85
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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