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Sunday 25 March 2018

*"जु रेहम महरम" और "जु रेहम" से मुराद ?* #01
بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ
     मुफ़स्सिरे शहीर हकीमुल उम्मत, हज़रते मुफ़्ती अहमद यार खान عليه رحمة الحنان सु-रतुल बक़रह की आयत 83 *"तर-ज-मए कंजूल ईमान :* और मां बाप के साथ भलाई करो और रिश्तेदारों से।" के तहत "तफ़्सीरे नईमी" में लिखते है : औऱ कुर्बा ब मा'ना क़राबत है या'नि अपने अहले क़राबत के साथ एहसान करो, चूंकी अहले क़राबत का रिश्ता मां बाप के ज़रिए से होता है और इन का एहसान भी मां बाप के मुकाबले में कम है इस लिये इन का हक भी मां बाप के बा'द है, इस जगह भी चन्द हिदायत है :
     *पहली हिदायत :* ज़िल कुर्बा वोह लोग है जिन का रिश्ता ब ज़रिए मां बाप के हो जिसे "जी रेहम" भी कहते है, येह तीन तरह के है : एक बाप के कराबत दार जैसे दादा, दादी, चचा, फूफी वगैरा, दूसरे मां के जैसे नाना, नानी, मांमु, खाला, आख्याफी (या'नि जिन का बाप अलग अलग हो और मां एक हो ऐसे भाई और बहन का) भाई वगैरा, तीसरे दोनों के क़राबत दार जैसे हकीकी भाई बहन। इन में से जिस का रिश्ता कवी होगा उस का एक मुकद्दम ।

बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍एहतिरामे मुस्लिम* 9,10
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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