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Tuesday 20 March 2018

*वाक़ीअए में'राज से माख़ज़ मदनी फूल* #03
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
     इस मुबारक सफर में आप ﷺ ने हज़रते मूसा عليه السلام को अपनी क़ब्रे मुबारक में नमाज़ पढ़ते मुलाहज़ा फ़रमाया। इससे पता चला कि अम्बियाए किराम अपनी मुबारक क़ब्रों में ज़िन्दा है, वादए इलाही "हर जान को मौत चखनी है" की तस्दीक़ के लिये फ़क़त एक आन के लिये उनकी वफ़ात होती है फिर उसी तरह हयाते हक़ीक़ी अता कर दी जाती है।
     आला हज़रत, इमामे अहले सुन्नत शाह इमाम अहमद रज़ा खान رحمة الله عليه फ़रमाते है: ज़मीन उनके मुबारक जिस्मों को नहीं खाती, उनकी हयात, हयाते शुहदा से भी ज़्यादा अरफअ व आला होती है, यही वजह है कि उनका माले विरासत तक़्सीम नहीं होता और उनके दुन्याए ज़ाहिर से पर्दा फरमाने के बाद उन की अज़्वाज को किसी से निकाह करना मना होता है।
     इसी से ये भी मालुम हुवा कि ये हज़राते कुदसिय्या रब तआला के इज़्न व अता से जहाँ चाहते है आते जाते है और रब ने उन्हें इस क़दर वसी इक्तियारात और ताक़तों कुव्वत से नवाज़ा है कि काइनात में किसी को हासिल नहीं।

बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍🏼फ़ैज़ाने मेराज* 51
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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